१४ फ़रवरी – वेलेंटाइन दिवस

28 फरवरी

आज फरवरी का आखरि दिन है । तो सोचा क्यों न कुछ लिखा जाये…!! सहसा याद आ गई 14 फरवरी की…जिसे वेलेंटाइन दिवस के रुप में दुनिया मनाती है ।

देखा जाये तो रोटी, कपडा, मकान के बाद जीवन की सबसे अनिवार्य आवश्यकता है प्रेम । प्रेम एक दृष्टिकोण है, एक चारित्रिक रुझान है जिस के चलते  हम बहुत से लोगों से हमारे प्यार की अभिव्यक्त करते हैं । सही तो ये है प्रेम शब्द एक पवित्रता का प्रतीत है ।

पहले के जमाने में प्रेम का इजहार के लिये  कबूतर या मुसाफिर के माध्यम से प्रेम-संदेश प्रेषित किए जाते थें। उस जमाने के प्रेमियों में इतना धैर्य होता था कि वे कई दिनों तक संदेश के उत्तर का इंतजार भी कर लेते थें परंतु आजकल के प्रेमियों में सब्र नाम की चीज ही नहीं होती है। उनको तो इज़हार और प्यार दोनों में ही देरी बर्दाश्त नहीं होती है…!!

 प्यार में संदेशों का बहुत अधिक महत्व होता है। संदेश जहाँ विचारों के आदान-प्रदान का एक माध्यम होते हैं, वहीं दूसरी ओर संदेश प्यार को प्रगाढ़ता व रिश्ते को नई ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। प्रेमियों के लिए वेलेंटाइन डे एक खास दिन होता है। उनके लिए यह दिन अपने प्यार के इजहार का एक अच्छा मौका होता है, जब वे अपने वेलेंटाइन को अपने दिल की बात कह देते हैं। 

ऐसा माना जाता है कि 1743 साल पहले  संत वैलेंटाइन  ने अपने प्रेम का इजहार  करते हुए  जेलर की बेटी को एक ख़त में “yours valentine” लिखा था और उस प्रेमकी उन्हें ऐसी किंमत चूकानी पडी….कि प्रेम के जुर्म में सारी उम्र,मरते दम तक उन्हें रोम के सम्राट क्लौडिअस के द्वारा जेल की सजा मिली…!!

जब लोगों ने प्रेम को जाना ,उसे करीब से पहचाना तो लगा कि संत वैलेंटाइन  ने प्रेम का इज़हार कर कोई अपराध नहीं किया था । बस उन्हों ने तो ख़त के द्वारा जेलर की बेटी को अपना प्रेम दर्शाया था…शायद इसी सोचने उन की याद में १४ फ़रवरी को वेलेंटाइन दिवस मनाना घोषित कर दिया…!!

विदेशों में ये एक पारंपरिक दिवस है जिसमें प्रेमी एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम का इजहार कार्ड भेजकर, गुलाब या कोई फूल का गुल्दस्ता या मिठाई आदि देकर करते हैं । धीरे-धीरे हमारे भारत में भी इस का प्रचलन शुरु हुआ और हमारे नवयुवक-युवतियों ने भी इस को मनाना शुरु कर दिया । रुस  में इस दिन को  “प्यार करनेवालों का दिन” भी कहा जाता है ।  इस अवसर पर रुस के कई नगरों में  संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । जिसके दौरान प्यार करनेवाले पुरुष और महिलाएं एक दूसरे को अपने दिल की बात कहते हैं । कईबार “प्रेमियों का नृत्य” कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं जहां प्रेमी साथ मिल प्रेम का इजहार करते हुए नृत्य करते हैं । इस दिन गुलाब के दाम आकश को छूते दिखाई देते हैं…!! इसबार 14 फरवरी पर इतनी शादियां थी कि माता-पिता को भारी किंमत चूकाकर अपने लडके-लडकियों की शादी करनी पडी थी…!!

अब प्रश्न ये उठता है कि क्या हमें प्रेम का इज़हार केवल एक दिन, १४ फ़रवरी को ही करना चाहिए या हमेशा बरक़रार  रखना चाहिए ? देखा जाये तो आज समाज में वैवाहिक जीवन या आपसी रिश्तों में इतनी कडवाहट देखने को मिलती है कि ऐसे एक नहीं अनगिनत दिन मनाने की आवश्यकता है…!! मैं यही कहूंगी कि वर्ष के 365 दिन ही वेलेंटाइन दिवस होने चाहिए प्रत्येक दिन  ही गुलाब के फूल के भांति खिले होने चाहिए । क्योंकि

प्यार किया नहीं जाता हो जाता है
दिल दिया नहीं जाता खो जाता है…

मैं आखिरी में एक ही चीज़ दोहराना चाहूंगी कि हमे हमेशा वेलेंटाइन दिवस मनाना चाहिए ना कि केवल 14 फ़रवरी को केवल | किन्तु मेरे अकेले के सोचने से क्या होगा????? मुग्लेआजम का प्रसिध्ध गीत अनायास ही जुबां पर आ रहा है….

प्यार किया तो डरना क्या,प्यार किया कोई चोरी नहीं की, चूप-चूप आहें भरना क्यों……आप का क्या सोचना है….? अपने विचार देना न भूलें….

कमलेश अग्रवाल

 

 

One Response to “१४ फ़रवरी – वेलेंटाइन दिवस”

  1. mahatammishra मार्च 13, 2013 at 12:15 अपराह्न #

    बिलकुल सही कहा आप ने पर प्यार के लिए हमें विदेश से त्यौहार लाने की जरूरत नहीं क्यों कि प्यार की प्यारी मीरा और ब्रजवासी से बढकर कोई भी प्रेम परवानगी की मिशाल से बढ़कर नहीं है और अगर कोई है तो भारतीय प्रेम की परिभाषा में ढलकर प्रखर हुआ है प्रेम हमारा गहना रहा है जिसकी कदर होनी चाहिए दिखावा नहीं……

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